Lok Sabha Chunav 2024Uncategorizedअन्य खबरेताज़ा ख़बरें

भारतीय विचारों का डिजिटल रूपांतरण:-एक अवलोकन

व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के अनपढ़ों कुपढों के बीच स्वामी विवेकानंद के नाम पर कुछ भी झूठ फैलाया गया है , जो उन्होनें कभी नहीं बोला वे शब्द उनके मुँह से कहलवा दिये। स्वामी जी के मूल साहित्य तक में हेराफेरी करने की कोशिश हुई। उनके नाम पर एक बड़ा संगठन खड़ा किया पर स्वामीजी के मूल साहित्य विचार से युवजनों को दूर रखा गया। शुक्र है कि टैक्नोलॉजी से विवेकानंद विचार डिजिटलीकृत हो गये पर साज़िश अभी भी जारी है ।

याद है ना कि पहले शहीदे आज़म भगत सिंह को अपनाया पर नास्तिक और क्रांतिकारी विचार जानते ही छोड़ दिया , फिर गांधी जी को पकड़ा जिनका वांग्मय ही बदलने की कोशिश हुई पर सचेत गांधीवादियों के कारण संभव नहीं हो सका । इसके बाद सरदार पटेल का अधिकतम संभव दुरुपयोग किया और जैसे लोगों का ध्यान उधर गया , असली विचार साहित्य पढ़ा तो अपने काम का नहीं समझ कर

त्याग दिया। फिर सुभाष बोस के साथ भी दो तीन साल तक कोशिश की कुछ भी इनके काम का न मिला तो परित्यक्त कर दिये गये। डा ० लोहिया और जेपी के विचार इतने क्रांतिकारी थे कि पहली बार के प्रयास के बाद ही उन्हें छोड़ दिया। जनवरी 2024 में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न तो दिया पर चुनाव तक में उनका नाम न लिया उल्टे उनके नाम से चुनावी घाटा होते देख उन्हें भी काम का नहीं समझा

गया। पं० नेहरू को पहले से ही झूठ ग़लत तथ्यों और कूटरचित चित्रों के सहारे खलनायक प्रचारित कर दिया था वरना उनका भी राजनीतिक उपयोग किया जा सकता था ! गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर का नाम बस पिछले बंगाल चुनाव और कुछ दिनों तक ही लिया लेकिन तत्काल उनके विचार सामने आते ही वे भी त्याग दिये गये।

सावरकर , गोडसे, मुखर्जी और दीनदयाल जी का नाम तक कहीं विदेश यात्रा में नहीं बोलते जिन्हें दुनिया में कोई जानता तक नहीं।

कालजयी विचार , तदनुरूप कर्म एवं दीर्घकालिक सोच नफ़रत के ज़हर से कदम ताल नहीं हो सकती । आपसी प्रेम व समावेश ही सही सोच के साथ उठता बैठता है। सबके पूर्ण सहयोग से ही राष्ट्र बना करता है। राष्ट्रवाद कभी भी अंतर्राष्ट्रीयतावाद के बग़ैर नहीं चल सकता है

रामकृष्ण मिशन द्वारा छपवाया स्वामी विवेकानंद का मूल साहित्य पढ़ो तो आँखें खुलेगी कि वे कितने मौलिक क्रांतिकारी साधु थे ! मूर्ति व चित्रों पर माला चढ़ाने की फ़ालतू रस्म अंततः विचार का त्याग करती हैं। अल्पकालिक दृष्टि से चुनाव में दुरुपयोग करना अब या तो संभव नहीं है या फिर उसका जीवन बहुत छोटा है।

टीवी चैनलों के लिये ध्यानस्थ बन नाटकीय फ़ोटो प्रसारित करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा।येन केन प्रकारेण कुर्सी ले लेना बड़ा काम नहीं है इतिहास में सही जगह बनाना बड़ी चीज़ है।बड़ी गलती कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों की यह रही कि वे भी अल्पकालिक सोच के वशीभूत होकर अपने पुरुखों के विचार प्रसार की ओर ध्यान नहीं दिया। आज़ादी की लड़ाई के मूल्य विचार और नेताओं को छोड़कर सिर्फ़ अपने परिवार को आगे बढ़ाने का घातक परिणाम सामने है !

Show More
Back to top button
error: Content is protected !!